पहली बार, एक नजर देखने पर “ट्राली प्रॉब्लम” ऐसा सवाल लगता है, जिसका आसानी से हल निकाला जा सकता हो। ट्राली प्रॉब्लम असल में उतना आसान नहीं होता है। इसमें एक रेलगाड़ी आ रही और उसे आते हुए एक ऐसा व्यक्ति देख रहा है, जो अपने सामने के लीवर को खींचकर गाड़ी को एक व्यक्ति की ओर भी मोड़ सकता है, और जिधर पांच लोग बंधे पड़े हैं, उधर भी। पहली बार में तो अधिकांश लोग कह देंगे कि जिधर पटरी पर पांच लोग बंधे हैं, उन्हें बचाया जाए। जिधर केवल एक आदमी पड़ा है, गाड़ी को उधर मोड़ दिया जाए। असल में ये प्रश्न उतना आसान इसलिए नहीं, क्योंकि बंधा हुआ कौन पड़ा है, निर्णय इसपर भी तो निर्भर करेगा!
जैसे इसी प्रश्न को थोड़ा आगे बढ़ा लीजिये। मान लीजिये कि जो पांच व्यक्ति बंधे पड़े हैं, वो सभी सजायाफ्ता मुजरिम हैं, घोटालों के अपराधी नेता हैं, निर्भया काण्ड जैसे बलात्कारी हैं, और जो एक व्यक्ति है, वो कोई मामूली सा किसान है। अब किसकी तरफ मोड़ेंगे गाड़ी, एक साधारण किसान की ओर, या पांच अपराधियों को कटने देंगे? चलिए एक बार फिर से प्रश्न को बदला जाए। जो पांच लोग बंधे हैं वो अनजान लोग हैं, और जो एक व्यक्ति बंधा हुआ है वो आपकी प्रेमिका/प्रेमी या पत्नी/पति है। पांच अनजान लोगों को कटने देंगे, या अपनी प्रेमिका/पत्नी (अथवा प्रेमी/पति) को? संभवतः उत्तर फिर से बदल गया है।
थोड़ा और आगे बढ़ा लीजिये तो एक तरफ आपका भाई/बहन बंधा हो और दूसरी ओर जो पांच लोग हैं, वो कोई अपरिचित विदेशी, ऑस्ट्रेलिया, रूस या अफ्रीका के लोग हों तब एक व्यक्ति को बचायेंगे या पांच लोगों को? थोड़ा और घुमा लीजिये। एक तरफ आपका भाई/बहन या परिवार का कोई सदस्य बंधा हुआ है और दूसरी ओर पांच सेना के जवान जो आतंकियों से लड़ने के लिए किन्हीं युद्धों के लिए सम्मानित हैं तब क्या फैसला करेंगे? अपने परिवार को बचाने पर जोर देंगे या देशभक्ति दिखाएँगे? एक तरफ कोई 10-12 साल की बच्ची बंधी पड़ी हो और दूसरी तरफ गृहमंत्री, और प्रधानमंत्री जैसे पांच बड़े नेता हो जिनके मरने से देश में अराजकता फ़ैल जायेगी तो बच्ची को बचायेंगे या देश डूबने देंगे?
ये प्रश्न कठिन नहीं था क्योंकि हर बार एक न एक उत्तर तो आपको पता ही था। ये प्रश्न गूढ़ था। जब कहा जाता है कि #भगवद्गीता अत्यंत गूढ़ है, तो उसका अर्थ क्या होता है? क्या ये कहा जा रहा है कि ये बड़ा कठिन विषय है? बिलकुल नहीं, कठिन कहना होता तो क्लिष्ट जैसे कोई शब्द प्रयोग कर लेते, गूढ़ का अर्थ तो कठिन होता ही नहीं! गूढ़ का अर्थ केवल इतना है कि परिस्थितियाँ बदलते ही प्रश्नों के उत्तर बदल जायेंगे। आज पूछे तो अलग उत्तर होगा, कल पूछने पर उत्तर कुछ और हो जायेगा। राम से पूछ लें तो अलग उत्तर मिलेगा, सीता से पूछ लीजिये तो उसी प्रश्न का उत्तर अलग हो जायेगा। शब्दों का अर्थ न समझने से क्या होता है, ये जानना हो तो एक बार भगवद्गीता के बारे में सोचा जा सकता है।
उदाहरण के लिए पहला श्लोक देखिये –
धृतराष्ट्र उवाच
धर्मक्षेत्रे कुरुक्षेत्रे समवेता युयुत्सवः।
मामकाः पाण्डवाश्चैव किमकुर्वत सञ्जय।।1.1
यहाँ कहा गया है – धृतराष्ट्र बोले संजय, धर्मभूमि कुरुक्षेत्र में एकत्र हुए युद्ध के इच्छुक मेरे और पाण्डु के पुत्रों ने क्या किया था? इसमें जो “अकुर्वत” शब्द है वो भूतकाल में है। अब प्रश्न ये है कि जब भगवद्गीता युद्ध शुरू होने से ठीक पहले श्री कृष्ण ने सुनाई और वो संजय किसी लाइव टेलीकास्ट की तरह धृतराष्ट्र को सुना रहे थे, तो भूतकाल में क्यों बात करेंगे? वर्तमान या भविष्यकाल में बात होती।
ये एक शब्द बता देता है कि महाभारत में घटनाक्रम क्या था। असल में दस दिनों तक संजय कुरुक्षेत्र के युद्धक्षेत्र में ही थे। जब भीष्म के शर-शैय्या पर गिरने की सूचना लेकर वो हस्तिनापुर लौटे, तब उन्होंने पहले दिन से धृतराष्ट्र को युद्ध का वृतांत सुनाना शुरू किया इसलिए जो घटना पहले दिन हो चुकी, वो क्या थी ये पूछने के लिए धृतराष्ट्र ने अपना प्रश्न भूतकाल में किया था। भगवद्गीता के स्तर पर देखेंगे तो महाभारत कितनी परतों में है, इसका अनुमान भी होने लगता है। सबसे पहले (सबसे अन्दर की परत पर) श्रीकृष्ण ने अर्जुन को भगवद्गीता सुनाई है। उससे ऊपर की परत पर धृतराष्ट्र को संजय सुना रहे हैं कि महाभारत का युद्ध शुरू होने से पहले उन्होंने कृष्ण-अर्जुन का कौन सा संवाद सुना है।
इससे ऊपर की परतों पर एक-एक करके आते जायेंगे तो ये भी पता चलेगा कि एक यज्ञ हो रहा था, वहाँ महाभारत का युद्ध बीतने के कई वर्ष बाद राजा परीक्षित के परिवार के लोगों को कृष्ण-अर्जुन की पीढ़ी के बीतने के वर्षों बाद ये कथा सुनाई जा रही होती है। ऋषि उग्रश्रवा ये कथा ऋषि व्यास के आदेश पर सुना रहे होते हैं। सिर्फ एक शब्द बिलकुल ट्राली प्रॉब्लम के लीवर की तरह गाड़ी को घुमाकर कहाँ से कहाँ ले आया है, इसका अनुमान हो गया हो तो “गूढ़” शब्द का क्या अर्थ है, वो भी समझ में आने लगा होगा। आप किसने किसको सुनाई वाले प्रश्न पर ही हैं, या पक्का-पक्का तय कर पा रहे हैं कि उग्रश्रवा ही वक्ता थे, व्यास न लिखी थी, संजय ने सुनाई थी, या जो श्री कृष्ण ने कहा वही है? जो सिर्फ भगवद्गीता देख रहा है उसके लिए उत्तर अलग, जो भीष्म पर्व पढ़ रहा है उसके लिए अलग और जो पूरी महाभारत देखने बैठा है, उसके लिए उत्तर बदल जायेगा क्या? अच्छा जो “अहिंसा” जैसे शब्द हैं, उनके अर्थ का क्या होगा? खुद को भीड़ के बीच जाकर उड़ाने पर तुले किसी आतंकी को गोली मार देना अहिंसा होगी या हिंसा कहलाएगी? ट्राली प्रॉब्लम जैसा ही कोई गूढ़ प्रश्न हिंसा-अहिंसा पर भी उठ गया क्या? जैसे ट्राली प्रॉब्लम में सवाल थोड़ा सा बदलते ही और पेचीदा होता जाता है, बार-बार पढ़ने पर बार-बार अलग अर्थ क्यों दिखते हैं ये अनुमान भी हुआ होगा।
बाकी एक-आध गूढ़ या अकुर्वत जैसे शब्दों के माध्यम से ये जो बताया है, वो नर्सरी स्तर का है और पीएचडी के लिए आपको भगवद्गीता को स्वयं पढ़ना होगा, ये तो आपको याद ही होगा!