एक चादर मैली सी

एक थे राजेन्द्र सिंह बेदी, जो अपने दौर में उर्दू में लिखा करते थे। उन्होंने उर्दू में एक छोटी पुस्तिका […]

दिवस 324

मूल श्लोक – यः शास्त्रविधिमुत्सृज्य वर्तते कामकारतः। न स सिद्धिमवाप्नोति न सुखं न परां गतिम्।।16.23।। तस्माच्छास्त्रं प्रमाणं ते कार्याकार्यव्यवस्थितौ। ज्ञात्वा […]

दिवस 323

मूल श्लोक – त्रिविधं नरकस्येदं द्वारं नाशनमात्मनः। कामः क्रोधस्तथा लोभस्तस्मादेतत्त्रयं त्यजेत्।।16.21।। एतैर्विमुक्तः कौन्तेय तमोद्वारैस्त्रिभिर्नरः। आचरत्यात्मनः श्रेयस्ततो याति परां गतिम्।।16.22।। साधारण […]

दिवस 322

मूल श्लोक – तानहं द्विषतः क्रूरान्संसारेषु नराधमान्। क्षिपाम्यजस्रमशुभानासुरीष्वेव योनिषु।।16.19।। असुरीं योनिमापन्ना मूढा जन्मनि जन्मनि। मामप्राप्यैव कौन्तेय ततो यान्त्यधमां गतिम्।।16.20।। साधारण […]