कर्म का प्रभाव किसपर पड़ता है?
अच्छी भारतीय फ़िल्में! घर में बच्चों के साथ भी बैठकर देख सकें, इतनी अच्छी भारतीय फ़िल्में? फिर तो भाई हमें […]
अच्छी भारतीय फ़िल्में! घर में बच्चों के साथ भी बैठकर देख सकें, इतनी अच्छी भारतीय फ़िल्में? फिर तो भाई हमें […]
किताबें बड़ी और मोटी कैसे हो जाती हैं? इसे समझने के लिए एक आसान सा उदाहरण है “माण्डुक्य उपनिषद”। ये […]
फिल्म का नायक हमेशा कोई भला सा जीव हो, ऐसा जरूरी नहीं होता। पहले के नायक और खलनायक जहाँ सीधे […]
राष्ट्रपति चुनाव, पत्रकारिता और उससे जुड़ी राजनीती और षड्यंत्रों के किस्म-किस्म के दांव-पेंच देखने हों तो “आल द प्रेसिडेंट्स मेन” […]
सुबोध घोष की कहानी “जातुगृह” पर बांग्ला फिल्म तो 1965 में बन चुकी थी। उसी कहानी को आधार बनाकर गुलज़ार […]
क्या भगवद्गीता पूरी याद की जा सकती है? श्रुति परम्पराओं से आने वाले ग्रंथों के विषय में हम जानते हैं […]